रविवार, फ़रवरी 07, 2016

वार्षिक संगीतमाला 2015 पायदान # 8 : तू जो मिला.. लो हो गया मैं क़ाबिल Tu Jo Mila ...

अब जबकि सिर्फ आठ सीढ़ियाँ बाकी है शिखर तक पहुँचने के लिए आइए आपको मिलवाते हैं एक ऐसे गीत से जो फिल्म से अलग सुना जाए तो एक रोमांटिक नग्मा लग सकता है पर वास्तव में गीत ये दिखलाता है कि कैसे प्यारी सी बच्ची एक इंसान को ज़िन्दगी के सही मायने सिखला देती है । गीतकार व संगीतकारों का काम तब और कठिन हो जाता है जब उनके रचित गीत फिल्म की कहानी को आगे बढ़ाते हैं। संगीतकार प्रीतम, गीतकार क़ौसर मुनीर व गायक केके की दाद देनी होगी कि उन्होंने ऐसा करते हुए भी बजरंगी भाईजान के इस गीत की मेलोडी को बनाए रखा है ताकि जिन्होंने इस फिल्म को नहीं देखा वो भी इसकी मधुरता से अछूते ना रह पाएँ।

  

संगीतकार प्रीतम ने बड़ी प्यारी धुन रची इस गीत के लिए। गिटार की टुनटुनाहट और  वॉयलिन के दिल को सहलाते सुरों से वो हमें गीत के मुखड़े तक लाते हैं। धीरे धीरे गीत के टेम्पो को उठाते हैं और फिर तू धड़कन मैं दिल के बाद स्ट्रिंग्स का वो टुकड़ा पेश करते हैं कि दिल खुशी से झूमने लगता है। अंतरे के बाद भी गिटार पर उनकी कलाकारी कमाल की है और चित्त को प्रसन्न कर देती है। आश्चर्य की बात है कि उन्होंने इस गीत को तीन बेहतरीन गायकों जावेद अली, पापोन व केके से अलग अलग गवाया। पापोन और जावेद ने अलग अलग अंदाज़ में इस गीत को निभाया है पर इस प्रकृति के गीतों में केके की दमदार आवाज़ बिल्कुल फिट बैठती है। 

संगीत से जुड़े मलयाली परिवार से ताल्लुक रखने वाले और दिल्ली में पले बढ़े केके यानि कृष्ण कुमार कुन्नथ पिछले दो दशकों से फिल्म उद्योग में बतौर पार्श्व गायक जमे हुए हैं। साढ़े तीन हजार जिंगल गाने के बाद बॉलीवुड में अवसर पाने वाले केके को जब ये गीत गाने का प्रस्ताव मिला तो वे आस्ट्रेलिया में छुट्टियाँ मना रहे थे। छुट्टियों के बीच ही उन्होंने आस्ट्रेलिया में इस गीत की रिकार्डिंग की। प्रीतम को केके की आवाज़ पर इतना भरोसा था कि उन्होंने रिकार्डिंग का निर्देशन भी केके के जिम्मे छोड़ दिया। केके ने अपने को इस गीत में खुद ही निर्देशित किया यानि गाना गाया, सुना और फिर उसमें ख़ुद ही सुधार करते हुए अंतिम रिकार्डिंग प्रीतम के पास भेजी जिसे हम सबने फिल्म में सुना। 

कौसर मुनीर और केके
इस गीत के बोल लिखे क़ौसर मुनीर ने जिनसे आपका परिचय मैं वार्षिक संगीतमालाओं में फलक़ तक चल साथ मेरे, मैं परेशां परेशां और सुनो ना  संगमरमर जैसे गीतों से पहले भी करा चुका हूँ। तो क्या लिखा उन्होंने इस गीत में?

खाते पीते सोते जागते व अपनी जीविका के लिए काम करते करते हम अपनी सारी ज़िंदगी बिता देते हैं। मौके तो सबको मिलते हैं पर वक़्त रहते हम उन्हें लेने को तैयार नहीं होते । डरते हैं समाज से, अनजान के भय से, बिना जाने कि हम विपरीत परिस्थितियों में भी क्या करने की कूवत रखते हैं। अपने व्यक्तित्व को किन ऊँचाइयों पर ले जा सकते हैं।  

ऐसा ही तो हुआ इस फिल्म के नायक  के साथ। उन्हें एक परिस्थिति मिली और शुरुआती हिचकिचाहट के बाद जब वो उससे लड़ने को तैयार हुए तभी अपने अंदर छुपे असली इंसान को ढूँढ पाए। रोज़गार की तलाश में भटकते एक आम से इंसान को दूर देश से भटक कर आई बच्ची क्या मिली उसके जीने का मक़सद ही बदल गया।   क़ौसर मुनीर को यही व्यक्त करना था अपने गीत में और उन्होंने  इसे बखूबी किया भी। मिसाल के तौर पर देखिए फिल्म में बच्ची का मज़हब कुछ और है और हमारे नायक का कुछ और  पर उसे लगता है कि उसके घर तक पहुँचाना ही ऊपरवाले की सच्ची इबादत है सो क़ौसर उसकी मनोभावना को इन शब्दों में दर्शाती हैं आबोदाना मेरा, हाथ तेरे है ना ढूँढ़ते तेरा ख़ुदा मुझको रब मिला या फिर राह हूँ मैं तेरी, रूह है तू मेरी.. ढूँढते तेरे निशाँ मिल गयी खुदी।

तो आइए सुनते हैं ये प्यारा नग्मा...

  

आशियाना मेरा, साथ तेरे है ना
ढूँढते तेरी गली, मुझको घर मिला

आबोदाना मेरा, हाथ तेरे है ना
ढूँढ़ते तेरा ख़ुदा, मुझको रब मिला
तू जो मिला.. लो हो गया मैं क़ाबिल
तू जो मिला.. तो हो गया सब हासिल हाँ ..


मुश्क़िल सही.. आसां हुई मंज़िल
क्यूंकि तू धड़कन, मैं दिल..

रूठ जाना तेरा, मान जाना मेरा
ढूँढते तेरी हँसी , मिल गयी ख़ुशी
राह हूँ मैं तेरी, रूह है तू मेरी
ढूँढते तेरे निशाँ
मिल गयी खुदी
तू जो मिला लो हो गया मैं क़ाबिल ...मैं दिल..

वार्षिक संगीतमाला 2015

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2 टिप्पणियाँ:

Sumit on फ़रवरी 11, 2016 ने कहा…

KK is long time favorite.. Main dil tu dhadkan... Bus issi ek line ki gaayaki kaafi hai is geet ko ye jagah dilane ko.

Manish Kumar on फ़रवरी 11, 2016 ने कहा…

अगर आप पापोन व जावेद अली को इस गीत को गाते सुनें तो लगेगा कि केके की आवाज़ इस तरह के गीतों के लिए कितनी फबती है।

 

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