रविवार, मार्च 01, 2015

वार्षिक संगीतमाला 2014 रनर्स अप : मनवा लागे, लागे रे साँवरे Manwa Lage

दो महीने के इस सफ़र के बाद आज ये संगीतमाला जा पहुँची है अपनी दूसरी सीढ़ी पर। एक शाम मेरे नाम पर इस साल की संगीतमाला का रनर्स अप खिताब जीता है फिल्म Happy New Year के गीत मनवा लागे ने। विशाल शेखर ने इस गीत की ऐसी मधुर धुन रची कि गीत के यू ट्यूब पर रिलीज होते ही एक दिन के अंदर ही इसे दस लाख लोगों ने सुना। क्या कहें इस गीत की मधुरता ही ऐसी है कि पहली बार सुनते ही आप इसके हो के रह जाते हैं। सच तो ये हैं कि धुन की मधुरता के साथ साथ  इरशाद क़ामिल की शब्द रचना और श्रेया व अरिजित सिंह की प्यारी युगल गायिकी ने इस गीत को वार्षिक संगीतमाला की दूसरी पॉयदान पर ला कर खड़ा कर दिया है। 

इस कोटि के गीतों को निभाने में श्रेया घोषाल की सलाहियत जग ज़ाहिर है। इरशाद क़ामिल के प्रेम से रससिक्त बोलों को जब श्रेया की गुड़ सी मीठी आवाज़ का साथ मिलता है तो समझि॓ए सीधे दिल में छनछनाहट होती है।  गीतकार इरशाद क़ामिल इस गीत को मिली मकबूलियत के बारे में कहते हैं
"सहज शब्द अगर दिल से कहे जाएँ तो वो बिना किसी मशक्कत के लोगों के हृदय में अपना घर बना लेते हैं, इस गीत की सफलता से मेरी इस धारणा को बल मिला है। मैं श्रोताओं को धन्यवाद देना चाहता हूँ जिन्होंने अपना प्यार इस गीत पर लुटाया।"
इरशाद क़ामिल ने इस गीत में जिस खूबसुरती से शब्दों का दोहराव किया है वो सुनने में बड़ा प्यारा लगता है। गीत के बीच के कोरस में जब वो लिखते हैं रस बुँदिया नयन पिया रास रचे..दिल धड़ धड़ धड़के शोर मचे..यूँ देख सेक सा लग जाये..मैं जल जाऊँ बस प्यार बचे तो उनके शब्दों में प्यार की मीठी तपिश को श्रोता सहज ही महसूस कर पाता है

पार्श्व गायिकी के लिहाज़ से ये साल अरिजित सिंह के नाम रहा है। शायद ही किसी संगीतमाला में  एक ही गायक के इतने सारे गीत एक साथ बजे हों। पर जहाँ तक इस गीत की बात है विशाल शेखर ने इसे दो साल पहले यानि 2012 में रिकार्ड किया था जब अरिजित पार्श्व गायन में इतने बड़े नाम नहीं थे जितने वो आज हैं। अरिजित को गीत का जितना हिस्सा मिला है उसमें वो श्रेया के साथ अपना असर भी छोड़ने में सफल हुए हैं।

ज़हनसीब के बारे में चर्चा करते समय मैंने लिखा था कि  मेलोडी पर  विशाल शेखर की गहरी पकड़ हर साल ऐसे कुछ गाने दे ही जाती है जिन्हें बार बार गुनगुनाने को दिल चाहता है। संगीतकार जोड़ी का ये मानना है कि
इस संसार में जहाँ हर बात हो हल्ले से कही जाती है ये गीत प्रेम और सुकून का बहता हुआ झोंका है। 
बिल्कुल सही कह रहे हैं विशाल शेखर पर ये हो पाया है उनके गीत में ढोल के साथ अन्य वाद्यों के सुंदर संगीत संयोजन से। तो आइए एक बार फिर से सुने इस रोमांटिक गीत को..

मनवा लागे, ओ मनवा लागे
लागे रे साँवरे, लागे रे साँवरे
ले तेरा हुआ जिया का, जिया का, जिया का ये गाँव रे
मनवा लागे, ओ मनवा लागे
लागे रे साँवरे, लागे रे साँवरे
ले खेला मैंने जिया का, जिया का, जिया का है दाँव रे

मुसाफिर हूँ मैं दूर का, दीवाना हूँ मैं धूप का
मुझे ना भाये, ना भाये, ना भाये छाँव रे

ऐसी वैसी बोली तेरे नैनों ने बोली
जाने क्यों मैं डोली
ऐसा लगे तेरी हो ली मैं, तू मेरा
तूने बात खोली कच्चे धागों में पिरो ली
बातों की रंगोली से ना खेलूँ ऐसे होली मैं, ना तेरा
किसी का तो होगा ही तू
क्यूँ ना तुझे मैं ही जीतूँ
खुले ख़्वाबों मे जीते हैं, जीते हैं बावरे
मन के धागे, ओ मन के धागे
धागे पे साँवरे, धागे पे साँवरे
है लिखा मैंने तेरा ही, तेरा ही, तेरा ही तो नाम रे

रस बुँदिया नयन पिया रास रचे
दिल धड़ धड़ धड़के शोर मचे
यूँ देख सेक सा लग जाये
मैं जल जाऊँ बस प्यार बचे

ऐसे डोरे डाले काला जादू नैना काले
तेरे मैं हवाले हुआ सीने से लगा ले, आ मैं तेरा
दोनों धीमे धीमे जलें
आजा दोनों ऐसे मिलें
ज़मीं पे लागे, ना तेरे, ना मेरे पाँव रे
मनवा लागे...

रहूँ मैं तेरे नैनों की, नैनों की, नैनों की ही छाँव रे
ले तेरा हुआ जिया का, जिया का, जिया का ये गाँव रे
रहूँ मैं तेरे नैनों की, नैनों की, नैनों की ही छाँव रे


अगर आपने इस संगीतमाला में शामिल किए गए गीतों को नहीं सुना तो उन्हें सुनिए नीचे की इन कड़ियों पर और इंतज़ार कीजिए वार्षिक संगीतमाला के सरताजी बिगुल का क्यूँकि सर्वोच्च पॉयदान पर गीत ऐसा जो शायद आपके लिए अनजाना हो...

वार्षिक संगीतमाला 2014
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2 टिप्पणियाँ:

Mamta Swaroop on मार्च 05, 2015 ने कहा…

Bahut sundar .....!

Manish Kumar on मार्च 14, 2015 ने कहा…

Dhanyawaad

 

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