रविवार, फ़रवरी 03, 2008

वार्षिक संगीतमाला २००७ : पायदान ११ - धागे तोड़ लाओ चाँदनी से नूर के...

पिछले १५ बीस दिनों में, मैं सिर्फ पाँच दिन ही घर पर रह पाया हूँ और दौरों का सिलसिला बदस्तूर ज़ारी है। अब इससे पहले कि मैं अगले हफ्ते गायब हो जाऊँ अपनी गीतमाला को थोड़ा आगे बढ़ाता हूँ। ग्यारहवीं पायदान के इस गीत को गाया है राहत फतेह अली खाँ और महालक्ष्मी अय्यर ने। इन दोनों सुरीले गायकों की इस २००७ की गीतमाला में गाया हुआ ये पहला गीत हैं। पर ये गायक प्रथम दस गीतों में आपको आगे भी नज़र आएँगे।

अगर ये गीत मुझे इतना पसंद है तो इसका सबसे ज्यादा श्रेय जाता है शंकर अहसान लॉय के अद्भुत संगीत को। जैसे ही घड़े की थाप से गीत का मुखड़ा शुरु आता है आप इस गीत से बँध जाते हैं। भारतीय वाद्य यंत्रों का पश्चिमी वाद्य यंत्रों के साथ ये तिकड़ी जितनी खूबसूरती से सम्मिश्रण करती है, उसकी जितनी तारीफ़ की जाए कम है। बाँसुरी के साथ गिटार की बंदिश हो या बीच में राहत का सम्मोहित कर देने वाला आलाप.. पूरे संगीत संयोजन को दाद देने को जी चाहता है।

और फिर गुलज़ार तो हैं ही अपनी चिरपरिचित शैली में। पर ये बता दूँ कि मेरे प्रिय गीतकार गुलज़ार का इस संगीतमाला में आने वाला आखिरी गीत है। ये पहली बार हुआ है कि गुलज़ार का लिखा कोई भी गीत मेरे प्रथम दस में नहीं है। मेरी समझ से इस साल गुलज़ार की सबसे बेहतरीन रचना दस कहानियों के लिए लिखी उनकी नज़्में थीं जिन्हें फिल्म में शामिल नहीं किया गया। खैर उम्मीद है कि गुलज़ार इस साल ओंकारा या साथिया के अपने बेहतरीन गीतों जैसा कुछ दिल को छू जाने वाला लिखेंगे ।

धागे तोड़ लाओ चाँदनी से नूर के
घूँघट ही बना लो रोशनी से नूर के
शाम आ गई तो, आगोश में लो
हो साँसों में उलझी रहे मेरी साँसें

बोल ना हलके हलके... बोल ना हलके हलके...

होठ से हलके हलके..बोल ना हलके हलके

आ नींद का सौदा करें, इक ख्वाब दें, इक ख्वाब लें
इक ख्वाब तो आँखों में है, इक चाँद के तकिए तले
कितने दिनों से ये आसमां भी
सोया नहीं है इसको सुला दें
बोल ना हलके हलके...
बोल ना हलके हलके...
मा पा नी धा गा मा रे सा गा मा रे पा नि स ध ग मा ग प

उम्र लगी कहते हुए दो लफ्ज़ थे इक बात थी
वो इक दिन सौ साल का, सौ साल की वो रात थी
कैसा लगे जो, चुपचाप दोनों..

हो पल पल में पूरी सदियाँ बिता दें

बोल ना हलके हलके...
बोल ना हलके हलके...
होठ से हलके हलके..बोल ना हलके हलके


तो आइए सुनें झूम बराबर झूम से लिए गए इस गीत को




इस संगीतमाला के पिछले गीत



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5 टिप्पणियाँ:

बेनामी ने कहा…

मनीष भाई,

इस साल का मेरा पसंदीदा गीत है यह।

Udan Tashtari on फ़रवरी 03, 2008 ने कहा…

मनीष भाई

बहुत बढिया,,लगे रहिये. मेरा टिप्पणी न कर पाना न पढने से मत जोड़ियेगा..देख अरहा हूँ निरन्तर. आप से बात करने की चाह है कृप्या फोन नम्बर ईमेल करें. :)

Manish Kumar on फ़रवरी 10, 2008 ने कहा…

जगदीश जी जानकर खुशी हुई
समीर भाई आपका ये कमेन्ट देर से देखा. शीघ्र ही मेल करूँगा।

Dawn on फ़रवरी 13, 2008 ने कहा…

Manish mein sehamat hoon tumse ke Gulzar ji ke iss geet per.
Cheers

Urvashi on मार्च 09, 2008 ने कहा…

I like this song a lot! Jhoom barabar Jhoom bahut hi bekaar film thi, par iske songs bahut achhe hai. :)

 

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