मंगलवार, मार्च 05, 2013

वार्षिक संगीतमाला 2012 पॉयदान # 3 : मेरे निशाँ, हैं कहाँ...

वार्षिक संगीतमाला 2012 का सरताज बिगुल बजने में अब ज्यादा देर नहीं है। बस बची है आख़िर की तीन सीढ़ियाँ। शिखर पर बैठे इन तीनों गीतों का मेरे हृदय में विशेष स्थान है और तीसरी पॉयदान पर विराजमान इस गीत को सुनने के बाद तो मन ही अनमना हो जाता है।

वैसे भी अगर साक्षात भगवन ही हमारी करतूतों का बही खाता पढ़ते पढ़ते ये सोचने को मजबूर हो जाएँ कि क्या यही दिन देखने के लिए उन्होंने इंसानों की दुनिया बनाई थी तो उनके कष्ट को महसूस कर दिल तो दुखेगा ना?

भगवान की इस आवाज़ को हम इंसानों तक पहुँचा रहे हैं कैलाश खेर और फिल्म का नाम तो आप समझ ही गए होंगे यानि Oh My God ! कैलाश ख़ेर एक ऐसे गायक है जो लगभग हर वार्षिक संगीतमाला में अपनी रुहानी आवाज़ के बल पर मेरा दिल जीतते आए हैं। उनकी आवाज़ में गीत का मुखड़ा सुनते ही गीत की भावनाएँ आपके दिल में घर करने लगती हैं। सुरों के उतार चढ़ाव पर कैलाश की जो पकड़ है उसके बारे में जितना भी कहा जाए कम ही होगा।

गीत का शब्दांकन कुमार ने किया है। हिंदी के आलावा पंजाबी फिल्मों में गीत लिखने वाले जालंधर का ये गीतकार अपने  गीत 'दुआ' के बाद वार्षिक संगीतमाला के प्रथम दस में दूसरी बार स्थान बनाने में कामयाब रहा है। कुमार द्वारा रचे इस गीत के हर अंतरे में एक ऐसी सच्चाई है जो मन को हिला डालती है। अंतिम अंतरे में कुमार धरती के मौज़ूदा हालातों में भगवान की विवशता इन शब्दों में व्यक्त करते हैं तू भी है मुझसे बना.... बाँटे मुझे क्यूँ यहाँ...मेरी बनाई तकदीरें है...साँसों भरी ये तसवीरें है...फिर भी है क्यूँ... बेजुबाँ...और हृदय बस एकदम से खामोश हो जाता है।



ख़ैर गीतकार और गायक की बात तो मैंने कर ली पर क्या आप जानते हैं कि इस गीत की संगीत रचना किस ने की? इस गीत के संगीतकार है मीत बंधु व अंजन जो कि पहली बार एक शाम मेरे नाम की वार्षिक संगीतमाला में प्रवेश कर रहे हैं। फिल्म उद्योग में ये संगीतकार तिकड़ी Meet Bros Anjjan के नाम से जानी जाती है। वैसे इस तिकड़ी का असली नाम मनमीत सिंह,हरमीत सिंह और अंजन भट्टाचार्य है। फिल्म में संगीत देने के आलावा ये तिकड़ी  बैंड के रूप में पंजाब में अपना कार्यक्रम करती रही है। ग्वालियर कॉलेज से स्नातक की डिग्री लेने वाली इस संगीतकार त्रयी का हिंदी फिल्म संगीत का सफ़र फिल्म 'दो दूनी चार' से हुआ। क्या सुपर कूल हैं हम, पान सिंह तोमर और स्पीडी सिंह के कुछ गीतों को संगीतबद्ध करने के भी मौके इन्हें मिले।

अक्षय कुमार से नजदीकियों के चलते जब Oh My God का ये गीत उनकी झोली में आया तो इस अवसर का उन्होंने पूरा फ़ायदा उठाया। मीत बंधु बताते हैं कि जब उन्होंने पहली बार अक्षय कुमार को ये गीत सुनाया तो उनकी आँखें नम हो उठीं। वाकई  बेहद सुकूनदेह संगीत रचा है मीत बंधुओं ने इस गीत के लिए।  एक और बाँसुरी की स्वर लहरी के साथ तबले की थाप है तो साथ ही वॉयलिन और गिटार की संगत भी।

तो आइए सुनते हैं इस गीत को...

मै तो नहीं
हूँ इंसानों में
बिकता हूँ मै तो इन दुकानों में

दुनिया बनाई मैने हाथों से
मिट्टी से नहीं जज़्बातों से
फिर रहा हूँ ढूँढता,
मेरे निशाँ, हैं कहाँ, मेरे निशाँ, हैं कहाँ..मेरे निशाँ, हैं कहाँ
हो....... ओ..... मेरे निशाँ.....

तेरा ही साया बन के तेरे साथ चला मैं
जब धूप आई तेरे सर पे तो छाँव बना मैं.

राहो मे तेरी रहा..... मैं हमसफर की तरह....
उलझा है फिर भी तू उजालों में
ढूँढे सवालों को जवाबों में
खोया हुआ है.... तू कहाँ

मेरे निशाँ... हैं कहाँ ..

मुझ से बने हैं ये पंक्षी ये बहता पानी
ले के ज़मी़ से आसमाँ तक मेरी ही कहानी ...
तू भी है मुझसे बना.... बाँटे मुझे क्यूँ यहाँ...
साँसों भरी ये तसवीरें है...
फिर भी है क्यूँ... बेजुबाँ..मेरे निशाँ... हैं कहाँ



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4 टिप्पणियाँ:

प्रवीण पाण्डेय on मार्च 05, 2013 ने कहा…

आपके दोनों ही गीत बड़े अच्छे लगे। वीडियो में दूसरा गीत था, जो कि मेरा मन हर चुका है, पहले भी।

Manish Kumar on मार्च 05, 2013 ने कहा…

जी पोस्ट रात में लिखी थी सुबह से शाम तक कार्यालय में इतना व्यस्त रहा कि अपनी पोस्ट देख ही नहीं पाया। अभी आपका कमेंट पड़ा तो इस भूल की ओर ध्यान गया। फिलहाल सही गीत लगा दिया है। रही दूसरे गीत की बात तो वो इस साल का रनर्स अप है :)

Cifar on मार्च 24, 2013 ने कहा…

yeh geet mujhe bhi behat pasand hai

Manish Kumar on अप्रैल 01, 2013 ने कहा…

सिफ़र अच्छा लगा जानकर !

 

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