शुक्रवार, फ़रवरी 08, 2013

वार्षिक संगीतमाला 2012 पॉयदान # 11 :महक भी कहानी सुनाती है..सुन लो अगर

पिछली चौदह सीढ़ियाँ पार कर  आज वक़्त आ गया है ग्यारहवीं पॉयदान के गीत से आपको रूबरू कराने का। इतना तो तय है कि अइया फिल्म का ये  गीत आपमें से बहुतों के लिए अनसुना होगा। वैसे तो फिल्म अइया का नाम सुनते ही  मन में ड्रीमम वेकपम के लटके झटके याद आ जाते हैं पर इस गीत की प्रकृति  उस नग्मे से बिल्कुल जुदा है। फिल्म  सत्यम शिवम सुंदरम का  वो गीत याद है आपको ...शीतल, निर्मल, कोमल संगीत की देवी स्वर सजनी.....। बस इस गीत को मैं भी इन्हीं तीन विशेषणों से परिभाषित करना चाहूँगा यानि ये एक ऐसा गीत है जो आपके मन को शीतल, निर्मल और कोमल कर देता है।  दिन भर की थकान के बाद जब कुछ पल आपके पास  अपने लिए हों तो आँखें बंद कीजिए और इस गीत को सुनिए। देखिएगा आप कितने तरो ताज़ा महसूस करते हैं।

ग्यारहवीं पॉयदान के इस गीत में एक अलग सी बात है। अमित त्रिवेदी का संगीतबद्ध ये गीत साल के उन गीतों में शुमार होता है जिनका प्रील्यूड सबसे लंबा है। यानि मुखड़े में श्रेया की खनकती आवाज़ सुनने के लिए आपको लगभग पौने दो मिनटों का इंतज़ार करना पड़ता है। पर ये इंतज़ार आपके कानों में पार्श्व में बजती शहनाई और पियानो के अद्भुत मिश्रण से वो मिठास घोल जाता है जिसका ज़ायका घंटों तक आपके ज़ेहन में बना रहता है। उसके बाद तो हमारी स्वर सजनी यानि श्रेया ने जिस मुलायमियत से अपनी शहद घुली आवाज़ में अमिताभ भट्टाचार्य के शब्दों को सहलाती हुई गाती हैं कि मन बिल्कुल शांत हो जाता है ।


अमित त्रिवेदी और अमिताभ भट्टाचार्य की जोड़ी उन दो मित्रों की जोड़ी है जो एक दशक से साथ साथ काम कर चुके हैं। आमिर और डेव डी के बाद पहली बार फिल्म जगत ने उनके काम को गंभीरता से लेना शुरु किया। आज अमित और अमिताभ साथ काम करने के आलावा दूसरे गीतकारों और संगीतकारों के लिए काम कर रहे हैं पर अमिताभ मानते हैं कि अमित के साथ काम करने में वो सबसे ज्यादा सहज रहते हैं। अमित और अमिताभ के बारे में बात करने के लिए तो आगे की पॉयदानें भी हैं तो आइए लौटते है इस गीत पर और देखते हैं कि इस गीत में क्या कमाल दिखला रही है ये युवा जोड़ी..


महक भी कहानी सुनाती है
सुन लो अगर
हवाओं के ज़रिए बताती है
समझो अगर

हौले दिल हौले दिल,फूलों की जुबाँ,
महफिल महफिल,कहती है सुबह
झिलमिल झिलमिल तारे दिन में भी
तुम पे हैं गिन लो अगर
महक भी कहानी सुनाती है

छींटे रंगों के पड़ते ही
कोरे ख़्वाबों में जड़ते ही
महफिल हो गई, हो गई
वो सभी जो कभी, सूनी सूनी
सूनी सूनी सी गलियाँ थी
वो सभी काफिला बन गईं

कर लो कर लो तय ये फासला
सपनों सपनों का ये घोसला
तिनका तिनका नींदे चुन के भी
तुम पे है चुन लो अगर

महक कहानी सुनाती है
हवाओं के ज़रिए बताती है

वार्षिक संगीतमालाओं में अमिताभ भट्टाचार्य और अमित त्रिवेदी की जुगलबंदी

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6 टिप्पणियाँ:

ANULATA RAJ NAIR on फ़रवरी 08, 2013 ने कहा…

बहुत सुन्दर गीत.....

आभार..
अनु

प्रवीण पाण्डेय on फ़रवरी 09, 2013 ने कहा…

बहुत ही प्यारा गीत..

***Punam*** on फ़रवरी 09, 2013 ने कहा…

मीठा मीठा....
ठंडा ठंडा....
कूल कूल.....

Nisha on फ़रवरी 09, 2013 ने कहा…

बहुत सुन्दर, बहुत मीठा गीत है ये।

Manish Kumar on फ़रवरी 12, 2013 ने कहा…

अनु जी, पूनम जी, प्रवीण , निशा आप सबको भी ये गीत पसंद आया जान कर प्रसन्नता हुई।

Ankit on मार्च 08, 2013 ने कहा…

ये गीत पहली दफा सुना. आपने सही कहा कि ड्रीमम के लटके झटके ही याद आते हैं आइय्या नाम सुनकर।

 

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