बुधवार, जनवरी 02, 2013

वार्षिक संगीतमाला 2012 पॉयदान # 25 : दिल ये बेक़रार क्यूँ है ?

नए साल का स्वागत तो आपने इन झूमने झुमाने वाले गीतों से कर लिया होगा। तो मेहरबान और कद्रदान, वर्ष 2012 की वार्षिक संगीतमाला को लेकर आपका ये संगीत मित्र उपस्थित है। वर्ष 2005 से आरंभ होने वाली ये संगीतमाला अपने आठवें साल में है। हर साल ये मौका होता है साल भर में रिलीज हुई फिल्मों में से कुछ सुने अनसुने मोतियों को छाँट कर उनसे जुड़े कलाकारों को आपसे रूबरू कराने का। एक साल में लगभग सौ के करीब फिल्में के करीब पाँच सौ गानों में पच्चीस बेहतरीन गीतों को चुनना और उन्हें अपनी पसंद के क्रम में क्रमबद्ध करना मेरे लिए साल के अंत में एक बड़ी चुनौती बन जाता है। दिसंबर के सारे रविवार और छुट्टियाँ इसी क़वायद में चली जाती हैं पर इसी बहाने जो नया चुनने और गुनने को मिलता है उसे आपके सम्मुख लाने की खुशी इस मेहनत को सार्थक कर देती है।


तो चलिए आरंभ करते हैं ये सिलसिला। वार्षिक संगीतमाला 2012 की 25 वीं पॉयदान पर  गीत है फिल्म Players का जो पिछले साल जनवरी महिने में रिलीज हुई थी। इस गीत को गाया था मोहित चौहान और श्रेया घोषाल ने। अब जहाँ मोहित और श्रेया एक साथ हों गीत का मूड तो रोमानियत से भरा होगा ना। वैसे भी संगीतकार प्रीतम अपने गीतों में मेलोडी का खासा ध्यान रखते हैं और इसीलिए उनके गीत जल्द ही श्रोताओं की गुनगुनाहट में शामिल हो जाते हैं।

इस गीत को लिखा है देहदादून से ताल्लुक रखने वाले आशीष पंडित ने। भातखंडे संगीत विश्व विद्यालय से शास्त्रीय संगीत की शिक्षा लेने वाले आशीष ने कुछ दिनों अविकल नाम के थियेटर में काम किया। दस साल पहले यानि 2003 में मुंबई आए। शुरुआती जद्दोहत के बाद वो संगीतकार प्रीतम के सानिध्य में आए। गायक, नाटककार से गीतकार बनाने का श्रेय आशीष प्रीतम को ही देते हैं। वैसे तो आशीष को प्रीतम का फिल्मों में इक्का दुक्का गीत मिलते रहे हैं पर फिल्म अजब प्रेम की गजब कहानी के गीत तेरा होने लगा हूँ ने उन्हें फिल्म जगत में पहचान दिलाने में बहुत मदद की।

प्लेयर्स फिल्म के इस गीत में भी आशीष ने वही सवाल पूछे हैं जो आशिकों के मन में जन्म जन्मांतर से आते रहे हैं। कुछ पंक्तियाँ मुलाहिजा फरमाइए

क्यूँ रातों को मैं अब चैन से सो ना सकूँ
क्यूँ आता नहीं मुझे दिन में भी चैन ओ सुकूँ
क्यूँ ऐसा होता है मैं ख़ुद से ही बातें करूँ

दिल ये बेक़रार क्यूँ है
इसपे धुन सवार क्यूँ है
क्यूँ है ये ख़ुमार क्यूँ है तू बता
तेरा इंतज़ार क्यूँ है
क्यूँ है ये ख़ुमार क्यूँ है तू बता

प्रीतम गीत का टेम्पो धीरे धीरे बढ़ाते हैं और दिल ये बेकरार क्यूँ है आते आते श्रोता गीत की लय में पूरी तरह आ चुका होता है । और हाँ गीत में करीब ढाई मिनट बाद आने वाला गिटार का इंटरल्यूड भी बेहद कर्णप्रिय बन पड़ा है।

तो आइए सुनते हैं ये नग्मा...

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7 टिप्पणियाँ:

Madan Mohan Saxena on जनवरी 02, 2013 ने कहा…

वाह . बहुत उम्दा,मार्मिक रचना व् सार्थक प्रस्तुति . हार्दिक आभार आपका ब्लॉग देखा मैने और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.

नब बर्ष (2013) की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
मंगलमय हो आपको नब बर्ष का त्यौहार
जीवन में आती रहे पल पल नयी बहार
ईश्वर से हम कर रहे हर पल यही पुकार
इश्वर की कृपा रहे भरा रहे घर द्वार.

Mrityunjay Kumar Rai on जनवरी 02, 2013 ने कहा…

संगीतमाला की शुरुआत एक सुरीले नगमे के साथ .गाना बहुत अच्छा है , गाने के बोल के बारे मे जानकारी बहुत अच्छा लगा . वैसे इसका रीमिक्स भी जबरदस्त है .

दिगम्बर नासवा on जनवरी 03, 2013 ने कहा…

बहुत ही मस्त, मधुर गीत ... मोहित चौहान की आवाज़ का जादू खुल के नज़र आया है इस गीत में ...

ANULATA RAJ NAIR on जनवरी 03, 2013 ने कहा…

नए नए सॉलिड हेड फोन पर सुना :-)
मज़ा आ गया....
वैसे मोहित इंडियन ओशन के साथ भी कमाल है....

अनु

प्रवीण पाण्डेय on जनवरी 03, 2013 ने कहा…

सच में बेहद खूबसूरत..

Ankit on जनवरी 04, 2013 ने कहा…

2012 की वार्षिक गीतमाला शुरू हो चुकी है। कुछ एक सालों से इस से जुड़ा हुआ हूँ और मलाल है शुरुआत से क्यूँ नहीं। मनीष जी आप जितनी मेहनत से ये चुनिन्दा नग्मे ढूंढ कर लाते हैं वो सिर्फ शुक्रिया कह देने भर से बहुत छोटा सा लगता है, उसका आभार दिल ही दिल में व्यक्त किया जा सकता है।

प्लेयर्स का ये गीत अभी कुछ दिनों पहले ही सुना था, गीत एक बार सुनने में ठीक लगा था लेकिन दूसरी बार सुनने का मन नहीं हुआ, शायद इसीलिए ये 25 वें पायदान पर है। मुझको ऐसा लगा कि मोहित चौहान की आवाज़ को उतने अच्छे से नहीं लाया गया है जितना लाया जा सकता था।

Amita Maurya ने कहा…

1 of my fav songs ...

 

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