रविवार, फ़रवरी 27, 2011

वार्षिक संगीतमाला 2010 - पॉयदान संख्या 8 : जब 'राहत' करवाते हैं सीधे ऊपरवाले से बात-.तू ना जाने आस पास है ख़ुदा…

चलिए बढ़ते हें वार्षिक संगीतमाला की आठवीं पॉयदान पर। हम सब के जीवन में एक वक़्त ऐसा भी आता है जब हर बाजी आपके खिलाफ़ पलटती नज़र आती है। संगी साथी सब आपका साथ एक एक कर के छोड़ने लगते हैं। हताशा और अकेलेपन की इस घड़ी में आगे सब कुछ धुँधला ही दिखता है। आठवीं पॉयदान का गीत एक ऐसा गीत है जो ज़िंदगी के ऐसे दौर में विश्वास और आशा का संचार ये कहते हुए करता है मुश्किल के इन पलों में और कोई नहीं तो वो ऊपरवाला तुम्हारे साथ है।

फिल्म 'अनजाना अनजानी' के इस गीत को गाया है राहत फतेह अली खाँ ने और संगीत रचना है विशाल शेखर की। विशाल शेखर को इस गीत को बनाने के पहले निर्देशक ने सिर्फ इतना कहा था कि आपको ऐसा गीत बनाना है जिसमें भगवान ख़ुद इंसान को अपने होने का अहसास दिला रहे हैं। विशाल शेखर की जोड़ी के शेखर रवजियानी ने झटपट मुखड़ा रच डाला तू ना जाने आस पास है ख़ुदा…। पर इस मुखड़े के बाकी अंतरे विशाल ददलानी ने लिखे हैं।

विशाल शेखर की ज्यादातर संगीतबद्ध धुनें हिंदुस्तानी और वेस्टर्न रॉक के सम्मिश्रण से बनी होती हैं। दरअसल जहाँ शेखर ने विधिवत शास्त्रीय संगीत की शिक्षा ली है वहीं विशाल मुंबई के रॉक बैंड पेंटाग्राम के गायक रहे हैं। इस अलग अलग परिवेश से आने का प्रभाव उनके संगीत पर स्पष्ट दिखता है।


पर जहाँ पिछले गीत में इरशाद क़ामिल के बोलों को मैंने गीत की जान माना था यहाँ वो श्रेय पूरी तरह से राहत फतेह अली खाँ को जाता है। उन्होंने पूरे गीत को इतना डूब कर गाया है कि श्रोता गीत की भावनाओं से अपने आपको एकाकार पाता है। मुखड़े की उनकी अदाएगी इतनी जबरदस्त है कि उनकी आवाज़ की प्रबलता आपको भावविभोर कर देती है और मन अपने आप से गुनगुनाने लगता है तू ना जाने आस पास है ख़ुदा…तू ना जाने आस पास है ख़ुदा…। विशाल शेखर के गिटार के इंटरल्यूड्स मन को सुकून देते हैं। राहत से हर संगीतकार कोई सरगम कोई आलाप अपने गीतों में गवाता ही है। राहत यहाँ भी अपनी उसी महारत का बखूबी प्रदर्शन करते हैं।

तो आइए सुनें इस गीत को




धुँधला जाएँ जो मंज़िलें, इक पल को तू नज़र झुका
झुक जाये सर जहाँ वहीं, मिलता है रब का रास्ता
तेरी किस्मत तू बदल दे, रख हिम्मत, बस चल दे
तेरे साथ ही मेरे कदमों के हैं निशां

तू ना जाने आस पास है ख़ुदा…तू ना जाने आस पास है ख़ुदा…
ख़ुद पे डाल तू नज़र, हालातों से हार कर कहाँ चला रे
हाथ की लकीर को मोड़ता मरोड़ता है, हौसला रे
तो ख़ुद तेरे ख्वाबों के रंग में तू अपने ज़हां को भी रंग दे
कि चलता हूं मैं तेरे संग में, हो शाम भी तो क्या
जब होगा अंधेरा, तब पाएगा दर मेरा
उस दर पे फिर होगी तेरी सुबह
तू ना जाने आस पास है ख़ुदा…तू ना जाने आस पास है ख़ुदा…

मिट जाते हैं सब के निशां, बस एक वो मिटता नहीं, हाय
मान ले जो हर मुश्किल को मर्ज़ी मेरी, हाय
हो हमसफ़र ना तेरा जब कोई, तू हो जहाँ रहूँगा मैं वहीं
तुझसे कभी ना एक पल भी मैं जुदा
तू ना जाने आस पास है ख़ुदा…तू ना जाने आस पास है ख़ुदा…

फिल्म में ये गीत रणवीर कपूर और प्रियंका चोपड़ा पर फिल्माया गया है।



अब 'एक शाम मेरे नाम' फेसबुक के पन्नों पर भी...
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7 टिप्पणियाँ:

राज भाटिय़ा on फ़रवरी 27, 2011 ने कहा…

:( यह अली अब नही चलेगा...

Manish Kumar on फ़रवरी 27, 2011 ने कहा…

राज भाई आपसे असहमति रखने के लिए क्षमा चाहता हूँ। मुझे आपकी बात के पीछे कोई वज़ह नहीं दिखाई नहीं देती।

कंचन सिंह चौहान on फ़रवरी 27, 2011 ने कहा…

गीत सुना नही था, मगर सुना होता आई मुश्किलों में बड़ा हौसला मिलता....!!

भाटिया जी की टिप्पणी का आशय नही समझ में आया....!

Mrityunjay Kumar Rai on फ़रवरी 28, 2011 ने कहा…

very soothing song

Dr. Alok Mishra, PhD on फ़रवरी 28, 2011 ने कहा…

Rahet fateh ali khan ki khubasurat gayaki ka ek namuna

mashhood on मार्च 10, 2011 ने कहा…

Amazing song...amazing lyrics...
Very well sung as well...

Manish Kumar on मार्च 10, 2011 ने कहा…

Alok, Mrityubjay & Mashood it was nice to know thay you all liked this song as well.

 

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