शुक्रवार, जनवरी 01, 2010

वार्षिक संगीतमाला 2009 : नए साल के अवसर पर पेश है साल की सात, मस्ती में सराबोर करने वाली धुनें

देखते देखते नया साल आ ही गया और नए साल का पहला दिन यानि पूरी मौज मस्ती का माहौल। इसलिए माहौल को बनाए रखने के लिए वार्षिक संगीतमाला 2009 की शुरुआत की जा रही है वैसे गीतों से जिनकी धुनों पूरे साल हमें थिरकने पर मजबूर कर दिया और इनमें से कुछ पर तो शायद आप कल रात के जश्न में भी थिरके होंगे। आज की इस पोस्ट में मैंने ऐसे ही सात गीतों के मुखड़ों को चुना है जिनकी रिदम मन और तन दोनों को हिला जाती है।

तो शुरुआत विशुद्ध मुंबईया फिल्मी तड़के से जिसमें रह रह कर छौंक लगा रहे हैं खुद सलमान खाँ। "एक बार जो मैंने कमिटमेंट कर दी तो मैं खुद की भी नहीं सुनता.." पहचान गए ना जी हाँ ये है फिल्म वांटेड का थीम गीत




सलमान के फंडे तो आपने सुन लिए तो अब गुलज़ार के साथ रात में मटकी तो फोड़ लीजिए। हो सकता है आपका भी कोई गुड लक बाहर निकल आए। पर हुजूर इसके लिए घर बैठने से काम नहीं चलेगा। आ जाइए सड़कों पर ठैन ठैन कर लीजिए।




वैधानिक चेतावनी : इस गीत का ओवरडोज आपके सिर में ठैन ठेन पैदा कर सकता है।:)

वैसे गुलज़ार साहब ने ठैन ठना ठन के आलावा इसी साल रहमान के साथ पूरे विश्व में हिंदी फिल्म संगीत की जयजयकार करवा दी। गुलज़ार ने तो इससे सैकड़ों बेहतरीन गीत लिखे होंगे पर जूरी मेम्बरान पर रहमान के झुमा देने वाले संगीत और 'जय हो' जुमले का लगता है जबरदस्त असर हुआ। इस गीत ने विश्व में क्या धूम मचाई है इसका अंदाज़ा इस बात से लगाएँ कि हाल में मेरे एक रिश्तेदार ने फिलीपींस की लड़की से शादी की मनीला में और वहाँ हुए स्वागत समारोह में लड़की के घरवालों ने भारतीय मेहमानों का स्वागत इस गीत पर नृत्य कर के किया।




पर ए आर रहमान और विशाल भारद्वाज से कहीं ज्यादा मस्ती भरा संगीत दिया प्रीतम दादा ने। चाहे अजब प्रेम की गजब कहानी में प्यार की बलखाती नैया हो या लव आज कल की ट्विस्ट... या फिर इसी फिल्म की चोर बाजारी... प्रीतम की धुनें मन मोहने वाली रहीं। प्रीतम ने एक अच्छा काम ये किया कि इन तीनों गीतों को नीरज श्रीधर से गवाया जो कि मस्ती भरे गीतों को गाने में माहिर हैं। तो इनमें से कौन सी धुन सुनना पसंद करेंगे आप। चलिए बारी बारी से तीनों ही सुनवा देते हैं। सबसे पहले सुनिए सर्पीली धुन ट्विस्ट




और फिर चोरबाजारी दो नैनों की ..



और राम के भरोसे ही सही प्रेम की नैया को कैसे भूल पाइएगा..



ये तो हो गए छः गीत तो सातवाँ गीत कौन सा है। जी नही ये गीत नहीं बस एक धुन है और क्या शानदार धुन है। इस धुन को बनाया इल्लैयाराजा ने और फिल्म तो आप समझ ही गए होंगे पा पा पपपा पा पा पपपा पा पा पपपा .....



बिग बॉस देखते देखते अमित जी ने इसके सारे डान्सिंग स्टेप्स हमें याद करा दिए वैसे आपको न याद हो तो यू ट्यूब के इस वीडिओ में देख लीजिए


ये तो रहे मेरी पसंद के साल में सबसे ज्यादा झुमाने वाले गीत। वैसे आपको इस साल किस गीत ने सबसे ज्यादा थिरकाया ? अगली पोस्ट में जानेंगे कौन सा गीत है इस साल की संगीतमाला की २५ वीं पायदान पर...

चलते चलते 'एक शाम मेरे नाम' के पाठकों को नए साल की हार्दिक शुभकामनाएँ ! आशा है नए साल में भी आप सब का स्नेह इस चिट्ठे के लिए पूर्ववत बना रहेगा।
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11 टिप्पणियाँ:

संगीता पुरी on जनवरी 01, 2010 ने कहा…

अभी खोला ही है .. आपके और आपके परिवार वालों के लिए भी नववर्ष मंगलमय हो !!

विश्व दीपक on जनवरी 01, 2010 ने कहा…

मनीष जी, जहाँ तक मुझे पता है "पा" में संगीत इल्लैया राजा का था....ना कि शांतनु मोइत्रा का। हाँ गीत लिखे थे शांतनु के पार्टनर स्वानंद किरकिरे ने....

-विश्व दीपक

Himanshu Pandey on जनवरी 01, 2010 ने कहा…

’प्रेम की नैया’और ’चोरबाजारी दो नैनों की’ - तो गजब ही थिरकाते हैं ।

सुन्दर प्रस्तुति ! आभार ।
आपको भी नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें ।

राज भाटिय़ा on जनवरी 01, 2010 ने कहा…

आप को ओर आप के परिवार को नववर्ष की बहुत बधाई एवं अनेक शुभकामनाए

कंचन सिंह चौहान on जनवरी 01, 2010 ने कहा…

चोर बाज़ारी तो था ही थिरकने वाला गीत..मगर हम थिरके सबसे ज्यादा गुलाल के दोनो आइटम सॉंग्स पर और जाते जाते आल इज़ वेल ने भी झुमाया...!

मस्त गीत थे सारे पा की धुन अभी सुनूँगी, अभी आफिस में हूँ।

अमिताभ मीत on जनवरी 01, 2010 ने कहा…

बढ़िया मेहनत करते हो भाई.

मस्त मस्त.....

आप को और समस्त परिवार को नया साल मुबारक हो. हार्दिक शुभकामनाएं.

मीत

Udan Tashtari on जनवरी 01, 2010 ने कहा…

बहुत उम्दा चयन...इनमें से कई कल रात बजे. :)



आप एवं आपके परिवार को नव वर्ष की हार्दिक बधाई एवं अनेक शुभकामनाएँ.

सादर
समीर लाल

Manish Kumar on जनवरी 01, 2010 ने कहा…

Vishwa Deepak aapka kathan bilkul sahi hai. Apni ghalti ke liye kshama prarthi hoon. abhi correct karta hoon

गौतम राजऋषि on जनवरी 01, 2010 ने कहा…

हम तो कश्मीर की इस सर्दी में कल पूरी रात अपने कामरेडों के साथ "ढ़ेन-ट-रेन" पे थिरकते रहे...

Manish Kumar on जनवरी 01, 2010 ने कहा…

कंचन कुछ झुमाने वालों गीतों में धुन के साथ कहीं शब्दों का अद्भुत संगम था तो कही लोक गीतों की मिठास। ऍसे गीत आपको संगीतमाला की पाएदानों पर नज़र आएँगे।

Priyank Jain on जनवरी 02, 2010 ने कहा…

umda sangeet aur shabd,
aapko aur aapke pariwaar ko nav varsh ki hraday se badhai evam shubhkamnain.
varsh nav
harsh nav
jivan utkarsh nav
nav taran
nav umang
jivan ka nav prasang

 

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