सोमवार, मार्च 09, 2009

वार्षिक संगीतमाला 2008 - पायदान संख्या 4 : अमित त्रिवेदी के साथ कीजिए डींग डाँग डाँग, डींग डाँग डाँग टिड़िंग टिंग

भाइयों और बहनों होली की इस पूर्व संध्या भी एक ऍसे सुखद संयोग पर आई है जब मेरी इस संगीतमाला का सबसे मस्तमौला गीत आपको झूमने झुमाने या यों कहिए कि आपको घुमाने के लिए तैयार है। दरअसल इस साल मेरे घर पर जब-जब आमिर फिल्म का ये गीत बजा है मेरे पाँव खुद बा खुद थिरक गए हैं जबकि मुझे नाचना बिल्कुल नहीं आता :)। अगर मैं ये कहूँ कि इस साल के सारे गीतों में सबसे ज्यादा जिस गीत पर मेरे परिवार के सारे सदस्य आनंदित हुए हैं तो ये वही गीत है।

गीतकार अमिताभ ने गीत में लफ्ज़ों का यूँ चुनाव किया है कि उसमें लोकगीतों का सा ठेठपन बरकरार रहे। दरअसल फिल्म की कहानी में ये गीत बैकग्राउंड में आता है जब नायक की जिंदगी की गाड़ी अचानक पटरी से उतर जाती है और वो इस चक्रव्यूह के दलदल में धँसता चला जाता है। अब देखिए अमिताभ का कमाल.. इस परिस्थिति को गली मोहल्ले की भाषा में कैसे व्यक्त करते हैं

अरे चलते चलते हाए हाए
हल्लू हल्लू दाएँ बाएँ हो
अरे देखो आएँ बाएँ साएँ
जिंदगी की झाँए झाँए हो
अरे निकले थे कहाँ को
और किधर को आए
कि चक्कर घुमिओ..



दूसरी ओर संगीतकार अमित त्रिवेदी ने राजस्थानी लोक धुन के साथ ताल वाद्यों का इतना बेहतरीन संयोजन किया है कि हर इंटरल्यूड में खुद झूमने के साथ औरों को भी झुमाने का मन करता है। अमित ने खुद इस गीत को अपनी आवाज़ दी है। आमिर फिल्म के इस गीत में अमित और अमिताभ की इस जोड़ी की प्रयोगधर्मिता की जितनी तारीफ की जाए कम होगी।

पर ये जोड़ी क्या अचानक ही हिंदी फिल्म संगीत के पर्दे पर उभर कर आ गई? नहीं ये अमित के दस वर्षों के कठिन संघर्ष का फल है जिसने फिल्म आमिर और अब डेव डी के माध्यम से उन्हें अपनी पहचान बनाने का मौका दिया है।

यूँ तो १५ वर्ष की उम्र से ही अमित को संगीत के प्रति रुचि बढ़ गई थी, पर उनका ये प्रेम तब मूर्त रूप ले सका जब कॉलेज से निकलने के बाद उन्होंने ओम नामक संगीत बैंड बनाया। १९‍ - २० साल की उम्र से ही अमित ने टीवी सीरियल, नाटकों आदि के लिए पार्श्व संगीत देने से लेकर विज्ञापन की धुनें बनाई और यहाँ तक कि डांडिया शो के आर्केस्ट्रा में भी काम किया। टाइम्स म्यूजिक ने इस समूह की प्रतिभा को पहचाना और अमित त्रिवेदी का पहला एलबम बाजार में आया। पर ठीक से प्रचार और प्रमोशन ना होने की वज़हों से उनलका ये प्रयास लोगों की नज़रों में नहीं आ पाया। खैर इनकी मित्र और नवोदित गायिका शिल्पा राव की सिफारिश से इन्हें अनुराग कश्यप ने डेव डी के लि॓ए अनुबंधित किया पर उसका काम बीच में ही रुक गया पर अनुराग ने तब इन्हें आमिर दिलवा दी और इस पहली फिल्म में ही उन्होंने अपनी हुनर का लोहा सनसे मनवा लिया।

अब होली के इस माहौल में इस गीत से आपकी दूरी और नहीं बढ़ाऊँगा। बस प्लेयर आन कीजिए, अपनी चिंताओं को दूर झटकिए और बस घूमिए और झूमिए।


डींग डाँग डाँग डींग डाँग डाँग टिड़िंग टिंग
डींग डाँग डाँग
डींग डाँग डाँग डींग डाँग डाँग टिड़िंग टिंग
डींग डाँग डाँग

अरे चलते चलते हाए हाए
हल्लू हल्लू दाएँ बाएँ हो
अरे देखो आएँ बाएँ साएँ
जिंदगी की झाँए झाँए हो
अरे निकले थे कहाँ को
और किधर को आए
कि चक्कर घुमियो
कि चक्कर कि चक्कर कि चक्कर कि चक्कर
पल्ले कुछ पड़े ना
कोई समझाए
कि चक्कर घुमियो
कि चक्कर कि चक्कर कि चक्कर कि चक्कर
अरे घुमियो रे, हाए घुमियो, रे घुमियो चक्कर घुमियो
हाए हाए घुमियो रे घुमियो घुमियो रे घुमियो चक्कर घुमियो

ले कूटी किस्मत की फूटी मटकी

रे फूटी....
दौड़न लागी तो चिटकी
खेल कबड्डी लागा
खेल कबड्डी लागा
भूल के दुनियादारी यारा खेल कबड्डी लागा
नींद खुली तो जागा
नींद खुली जो हाए
कि चक्कर घुमियो
कि चक्कर कि चक्कर कि चक्कर कि चक्कर
पल्ले कुछ पड़े ना
कोई समझाए कि चक्कर घुमियो
अरे घुमियो रे हाए घुमियो, रे घुमियो चक्कर घुमियो
हाए हाए घुमियो घुमियो घुमियो घुमियो चक्कर घुमियो
डींग डाँग डाँग डींग डाँग डाँग टिड़िंग टिंग

चिकोटी वक़्त ने काटी ऐसी चिकोटी
खुन्नस में तेरी सटकी
छींक मारे लागा, छींक मारे लागा
झाड़ा सच को धूल उड़ी तो
छींक मारे लागा
नींद खुली तो जागा
नींद खुली जो हाए
कि चक्कर घुमियो
कि चक्कर कि चक्कर कि चक्कर कि चक्कर
पल्ले कुछ पड़े ना...............




आशा है होली की मस्ती के साथ इस गीत ने भी आप सबको आनंदित किया होगा। एक शाम मेरे नाम के तमाम पाठकों को होली की ढ़े सारी शुकानाएँ !
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6 टिप्पणियाँ:

mamta on मार्च 09, 2009 ने कहा…

आमिर का ये गीत हमें भी बहुत पसंद है । हमें तो फ़िल्म भी बहुत पसंद आई थी ।

होली आ रही है इसलिए आपको और आपके परिवार को होली मुबारक ।

pallavi trivedi on मार्च 09, 2009 ने कहा…

होली का त्यौहार और इतना सुन्दर गीत.....होली की शुभकामनाएं!

Archana Chaoji on मार्च 09, 2009 ने कहा…

बच्चे पास नही है ,इसलिए फ़िल्म देखना तो दूर की बात हो गई है मगर आपने जो गाना सुनवाया ,मजा आ गया ।धन्यवाद।

कंचन सिंह चौहान on मार्च 09, 2009 ने कहा…

arre hamane to ye geet suna hi nahi tha....! mast...! holi ke anusaar...!

Puneet Bhardwaj on मार्च 10, 2009 ने कहा…

मुझे आपका ब्लॉग और गानों के बोल बेहद पसंद हैं। मैंने आपके ब्लॉग की सदस्यस्ता भी ली हुई हैं। लेकिन मेरे ख्याल से अमिताभ के इस गीत के बोल में यहां कुछ ख़ामियां हैं जैसे-
चिकोटी भक्त ने काटी चिकोटी... की जगह
चिकोटी वक्त ने काटी चिकोटी होना चाहिए।

और झाड़ा तुझको धूल उड़ी तो छींक मारे लागा की जगह झाड़ा सचको धूल उड़ी तो छींक मारे लागा होना चाहिए।

प्लीज़, आप मेरे सुझाव को कहीं क्रॉस-चैक कर सकते हैं। शायद मैं ग़लत भी हो सकता हूं।
वैसे आपका काम क़ाबिल-ए-तारीफ़ है।

MAYUR on मार्च 10, 2009 ने कहा…

bahut achha gana sunvaya aapne ,chakkar pe chakkar

 

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