रविवार, अक्तूबर 14, 2007

आप सब को ईद मुबारक :ऐसी न शब बरात, न बकरीद की खुशी, जैसी हर एक दिल में है इस ईद की खुशी...

सबसे पहले तो सारे चिट्ठाकार साथियों और खासकर अपने मुसलमान मित्रों को ईद की हार्दिक मुबारकबाद ! वैसे तो हर पर्व त्योहार से जीवन की सुखद स्मृतियाँ जुड़ी होती हैं पर ईद से हमारे परिवार का एक विशेष रिश्ता बन गया है। करीब छः साल पहले ईद के मुबारक मौके पर हमारे एकमात्र सुपुत्र इस दुनिया में पधारे थे। कल जब अपने बेटे को ये समझा रहे थे कि आपका एक जन्म दिन दिसंबर के आलावा कल भी है तो आनन फानन ही उसने केक की फरमाइश कर डाली। पर हमने कहा भाई कल यानि आज हम आपको केक तो नहीं पर सिवैयाँ जरूर खिलाएँगे। तो चलिए आप भी जश्न और उल्लास में शामिल हो जाइए नज़ीर अकबराबादी की इस खूबसूरत शायरी के साथ जो ईद के माहौल का बड़ा ही जीवंत विवरण प्रस्तुत करती है

है आबिदों को ताअत‍-ओ-तज़रीद की खुशी
और जाहिदों को जुह्द की तमहीद की खुशी
रिंद आशिकों को है कई उम्मीद की खुशी
कुछ दिलबरों के वस्ल की कुछ दीद की खुशी

ऐसी न शब बरात, न बकरीद की खुशी
जैसी हर एक दिल में है इस ईद की खुशी

रोज़े की खुश्कियों से जो हैं ज़र्द-ज़र्द गाल
खुश हो गए वो देखते ही ईद का हिलाल
पोशाकें तन में हैं ज़र्द, सुनहरी, सफेद, लाल
दिल क्या कि हँस रहा है तन का बाल बाल

ऐसी न शब बरात, न बकरीद की खुशी
जैसी हर एक दिल में है इस ईद की खुशी

पिछले पहर से उठके नहाने की धूम है
शीर-ओ-शकर, सिवैयाँ पकाने की धूम है
पीर-ओ-जवां की नेमतें खाने की धूम है
लड़कों को ईदगाह के जाने की धूम है

ऐसी न शब बरात, न बकरीद की खुशी
जैसी हर एक दिल में है इस ईद की खुशी

क्या ही मुआनके की मची है उलट पलट
मिलते हैं दौड़-दौड़ के बाहम झपट-झपट
फिरते हैं दिलबरों के भी गलियों में गट के गट
आशिक मजे उड़ाते हैं हर दम लिपट-लिपट

ऐसी न शब बारात, न बकरीद की खुशी
जैसी हर एक दिल में है इस ईद की खुशी

जो जो कि उनके हुस्न की रखते हैं दिल में चाह
जाते हैं उनके साथ लगे ता-ब-ईदगाह
तोपों के शोर और दोगानों की रस्म-ओ-राह
म्याने, खिलौने, सैर, मजे ऐश वाह वाह

ऐसी न शब बारात, न बकरीद की खुशी
जैसी हर एक दिल में है इस ईद की खुशी


रोज़ों की सख्तियों में न होते अगर असीर
तो ऍसी ईद की न खुशी होती दिलपज़ीर
सब शाद है गदा से लगा शाह ता वज़ीर
देखा जो हमने खूब, तो सच है मियां नज़ीर

ऐसी न शब बरात, न बकरीद की खुशी
जैसी हर एक दिल में है इस ईद की खुशी


और चलते चलते अनीक धर को हार्दिक बधाई जो कल सा रे गा मा पा कि वोटों की गिनती में राजा और अमानत से बढ़त बनाने में सफल हुए और कोलकाता के लोगों को दुर्गा पूजा के पहले एक हसीन तोहफा दे गए। दस करोड़ से ज्यादा वोटों में पहले, दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे प्रतिभागियों के लिए वोट प्रतिशत ३४.४, ३३.२ और ३२.४ रहा जो इस बात को साबित करता है कि तीनों पर आम जनता का बराबर का प्रेम रहा। जीतना एक को था वो जीत गया पर असली जीत संगीत की हुई। तो ईद के इस मौके पर देखिए राजा हसन का गाया मातृभूमि प्रेम से ओतप्रोत ये गीत..
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9 टिप्पणियाँ:

Sajeev on अक्तूबर 14, 2007 ने कहा…

मनीष जी ईद मुबारक आपको और आपके छोटे सहब्जादे को ढेर सारा प्यार

Udan Tashtari on अक्तूबर 14, 2007 ने कहा…

ईद की हार्दिक मुबारकबाद ! साथ ही ईद के हिसाब से बालक को जन्म दिन बहुत बहुत मुबारक.

-अनिक धर को हमारी भी बधाईयाँ.

-सुन्दर रचना पेश करने का आभार.

अफ़लातून on अक्तूबर 14, 2007 ने कहा…

मनीषजी और उनके सुधी पाठकों को ईद मुबारक़

कंचन सिंह चौहान on अक्तूबर 15, 2007 ने कहा…

कुल मिला कर खूबसूरत पोस्ट! सार्थक बहुत प्यारा लग रहा है। ईद की नज़्म भी अच्छी और गीत तो अच्छा था ही।

Manish Kumar on अक्तूबर 16, 2007 ने कहा…

आप सब की टिप्पणियों का शुक्रिया !

बेनामी ने कहा…

मनीष जी आपको भी ईद मुबारक, बहुत ख़ूब लिखा है आपने ईद की नज़्म भुत पसन्द आई , शुक्रिया

Unknown on अक्तूबर 19, 2007 ने कहा…

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सुशील छौक्कर on सितंबर 22, 2009 ने कहा…

आपको भी ईद की बधाई। और इस पावन दिन पर एक बेहतरीन शायरी से भरपूर पोस्ट। साथ ही सार्थक बेटे को खूब सारा प्यार और आशीर्वाद।

विभा रानी श्रीवास्तव on अगस्त 30, 2017 ने कहा…

आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 02 सितम्बर 2017 को लिंक की जाएगी ....
http://halchalwith5links.blogspot.in
पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!


 

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